Agrafast:शिवाजी महाराज के इस कनेक्शन के कारण महाराष्ट्र सरकार बनाना चाहती है उनका यहाँ स्मारक

Agrafast:शिवाजी महाराज के इस कनेक्शन के कारण महाराष्ट्र सरकार बनाना चाहती है उनका यहाँ स्मारक |महाराष्ट्र सरकार द्वारा आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाया जायेंगा, जहां उन्हें वर्ष 1666 में औरंगजेब द्वारा कैद करके रखा गया था | मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा इसकी घोषणा की गई है| ऐसे में ये जानना जरूरी है कि शिवाजी महाराज को आगरा में किस जगह पर कैद करके रखा गया था |

महाराष्ट्र सरकार द्वारा अब उत्तर प्रदेश के आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाने की घोषणा की गई है | ये घोषणा महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुधवार को आगरा में एक कार्यक्रम के दौरान की गई थी |

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देवेंद्र फडणवीस द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती से जुड़े मौके पर एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा गया कि आगरा कोठी (जिसे आज मीना बाजार के नाम से जानते है) के अंतर्गत एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करके रखा गया था |

महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस जमीन का अधिग्रहण किया जायेंगा |वहां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा एक शानदार स्मारक होगा | वो स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस बारे में बात करेंगे |

Related Post: विदेशियों को ताज के दीदार करवाना पुलिसकर्मियों को ऐसे पड़ा भारी

शिवाजी महाराज का आगरा से है एक अलग जुड़ाव

वर्ष 1674 के दौरान पश्चिम भारत के अंतर्गत मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी द्वारा कई सालों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया गया था और मुगल सेना को धूल चटाई गई थी | छत्रपति शिवाजी महाराज का आगरा के किले और मराठा साम्राज्य से जुड़े इतिहास में एक अपना विशेष महत्व है |

शिवाजी महाराज द्वारा मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया गया था, जिसके कारण उन्हें लंबे समय तक उनसे संघर्ष करना पड़ा था | वर्ष 1666 में मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज को अपने 50वें जन्मदिन समारोह हेतु शामिल होने के लिए आगरा के शाही दरबार में आने का न्योता दिया गया था |

शिवाजी के पराक्रम के कारण बहुत ही ज्यादा परेशान थे मुगल

छत्रपति शिवाजी महाराज अपने बेटे राजकुमार संभाजी के साथ 12 मई, 1666 को जन्मदिन समारोह के अंतर्गत शिरकत करने हेतु आगरा पहुंचे थे | मुगल बादशाह औरंगबेज शिवाजी महाराज के पराक्रम के कारण बहुत ही परेशान था, इसीलिए उसने उनसे संधि करने से जुड़ी योजना बनाई थी |

औरंगबेज से उचित सम्मान नही मिलने के कारण शिवाजी द्वारा मनसबदार का पद ठुकरा दिया गया था | शिवाजी महाराज द्वारा भरे दरबार में अपनी नाराजगी जाहिर की गई थी और औरंगजेब पर विश्वासघात करने से जुड़ा आरोप लगाया था लेकिन औरंगजेब के सैनिकों द्वारा छल से शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को बंदी बना लिया गया था |

वो थे फिदाई हुसैन की हवेली में नजरबंद

एक शोध के दावे के अनुसार औरंगजेब द्वारा 12 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के पास सिद्धी फौलाद खां की निगरानी के अंतर्गत नजरबंद करने से जुड़ा आदेश दिया गया था | 16 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने से जुड़ा आदेश दिया गया था |

राम सिंह की छावनी के पास मौजूद फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित हवेली में शिवाजी को रखा गया था | राम सिंह की हवेली कोठी मीना बाजार के ही पास में मौजूद थी | ये स्थान ऐतिहासिक अभिलेखों के अंतर्गत आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है | राम सिंह की हवेली के पास में ही फिदाई हुसैन की हवेली भी थी, जो कि कोठी मीना बाजार ही है |

यहीं से वो निकल गये थे फलों की टोकरी में बैठकर

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा पूरे 99 दिन तक औरंगजेब की कैद निवास किया गया | इसका जिक्र इतिहासकार जदुनाथ सरकार से लेकर कई अन्य इतिहासकारों द्वारा भी किया गया है | यहीं से शिवाजी महाराज अपने पुत्र समेत फलों की टोकरी में बैठकर भाग निकले थे |

अगस्त माह के दौरान बीमारी का बहाना बनाकर शिवाजी महाराज द्वारा जब गरीबों को फल बांटना शुरू किया था उसी समय फलों की टोकरी में बैठकर वो अपने बेटे संभाजी के साथ औरंगजेब की कैद से निकलकर भाग गये थे |

वर्ष 1674 में हुई थी शिवाजी महाराज की ताजपोशी

मराठा गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज की वर्ष 1674 के दौरान रायगढ़ स्थित किले में ताजपोशी की गई थी | इसके बाद उन्हें छत्रपति सम्बन्धित उपाधि मिली | इस समारोह के दौरान हिंदवी स्वराज की स्थापना से जुड़ा ऐलान किया गया था | दक्षिण भारत के अंतर्गत विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद ये पहला हिंदू साम्राज्य बना था |

उनका राज मुंबई के दक्षिण में कोंकण, तुंगभद्रा नदी के पश्चिम में बेलगांव, धारवाड़, मैसूर, वेल्लारी और त्रिचूर आदि तक फैला हुआ था | शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 को उनके रायगढ़ स्थित किले में निधन हो गया था |