Agrafast: मुगलकाल की ईमारत पर ऐसा उठा विवाद

Agrafast: मुगलकाल की ईमारत पर ऐसा उठा विवाद |प्रशासन द्वारा 400 साल पुरानी ‘औरंगजेब हवेली’ को तोड़ने लगा दी गई है रोक | ऐतिहासिक विरासत को गिराने की कोशिश पर मच गया हड़कंप  |

आगरा में 17वीं सदी से स्थापित मुबारक मंजिल जिसको ‘औरंगजेब की हवेली’ के नाम से भी जाना जाता है, यमुना नदी के किनारे पर स्थित थी, जहां वर्तमान समय में लोहे का पुल मौजूद है | 

मुगलकाल की ईमारत पर ऐसा उठा विवाद
मुगलकाल की ईमारत पर ऐसा उठा विवाद

इसको गिराए जाने से जुड़ी कोशिश पर प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई है |मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी द्वारा यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है और राजस्व विभाग को जांच सम्बन्धित दिशा- निर्देश गये हैं |

इतिहासविदों और जनता में दिखाई दिया आक्रोश

हवेली को गिराने सम्बन्धित खबर आगरा के नागरिकों और इतिहासकारों हेतु चौंकाने वाली थी | स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इसे मुगलकाल से जुड़ी एक अमूल्य धरोहर मानते हैं |

जैसे ही प्रशासन को इस बारे में जानकारी मिली, एसडीएम के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग और पुलिस टीम मौके पर आ गई और उन लोगों के द्वारा निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया |

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मामले में बढ़ी राजनीतिक हलचल 

मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा भी अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करके इस पर आपत्ति जताई गई| उन्होंने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई करने की मांग कर दी |

अब आगे क्या होगा?

डीएम द्वारा कहा गया है कि पूरी जांच के बाद ही रिपोर्ट पेश की जाएगी | इस प्रॉपर्टी से जुड़े किए जा रहे सभी दावों की कानूनी जांच करवाई जायेंगी |प्रशासन द्वारा तब तक इस पर किसी भी तरह के निर्माण या तोड़फोड़ सम्बन्धित अनुमति प्रदान नहीं की जायेंगी ।

इतिहासकारों का ये है दृष्टिकोण

ऑस्ट्रिया की इतिहासकार एब्बा कोच द्वारा अपनी पुस्तक ‘रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा’ के अंतर्गत मुबारक मंजिल का विस्तार से उल्लेख किया गया है | ब्रिटिश इंजीनियर एसी पोलव्हेल और कार्लाइल से जुड़ी रिपोर्ट के अंतर्गत भी इसकी ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित किया गया है |

मुगलिया दौर से जुड़ी है ये महत्वपूर्ण धरोहर

राजा जयसिंह के 17वीं सदी के नक्शे के अंतर्गत 35 नंबर के रूप में दर्ज मुबारक मंजिल, मुगलिया रिवरफ्रंट गार्डन से जुड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा थी | इस हवेली से जुड़ा निर्माण सामूगढ़ की लड़ाई के बाद औरंगजेब द्वारा करवाया गया था |

ये स्थान न केवल मुगल बादशाह शाहजहां, शुजा और औरंगजेब हेतु महत्वपूर्ण था, बल्कि ब्रिटिश काल के समय इसे नमक दफ्तर और कस्टम हाउस के तौर पर भी उपयोग किया गया था |

राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित धरोहर घोषित करने सम्बन्धित अधिसूचना तीन महीने पहले ही जारी की गई थी और 30 अक्तूबर तक इससे सम्बन्धित आपत्तियां मांगी थी |लेकिन अंतिम अधिसूचना जारी होने से पूर्व ही इसे बुलडोजर के माध्यम से ध्वस्त कर दिया गया |