Agrafast:आगरा के अंतर्गत आने वाले फतेहपुर सीकरी के 50 गांव आ चुके है जलसंकट में। यहाँ से जुड़ी 10 हजार हेक्टेयर भूमि दिखने लगी है बंजर । नई नहर से जुड़े निर्माण के लिए ग्रामीण हो चुके है आंदोलित। फतेहपुर सीकरी के अंतर्गत आती है 52 बावड़ियां। हैरत की बात है कि ये सभी बावड़ियां दिखाई दे रही है सूखी।

सारी बावड़ियां दिख रही है सूखी
ये बात है सन 1572 से जुड़ी जब भारत में होता था मुगलों का शासन। मुगल बादशाह अकबर द्वारा फतेहपुर सीकरी को किया गया था राजधानी घोषित | राजस्थान सीमा से जुड़ा ये एक ऐसा इलाका है जो कि था बंजर और वीरान । इसके बाद बादशाह द्वारा यहाँ अपनाई गई जल संचय से जुड़ी उन्नति नीतियां । फतेहपुर सीकरी के अंतर्गत निर्माण किया गया 52 बावड़ियां का। इन्हें जोड़ा गया ढकी नालियों के द्वारा। बारिश से आने वाला पानी इनमें होता था संचय ।

पूरे वर्ष के समय लोग इस पानी का करते थे उपयोग लेकिन आज से 453 वर्ष पूर्व ये सूख गई थी। किसान-मजदूर वर्ग से जुड़े ग्रामीण इस क्षेत्र में खेती-किसानी पर ही है निर्भर। यहां गिरते भूगर्भ जलस्तर से हो चुका है संकट पैदा। आज स्थिति ऐसी है कि पानी 450 -600 फीट नीचे जा चुका है।आज करीब 10 हजार हेक्टेयर से जुड़ी खेती पर पैदा हो चुका है सिंचाई से जुड़ा संकट। आज मौजूद नही है पीने तक को पानी। आज यहाँ से बड़ी संख्या में लोग कर चुके है पलायन।
आईआईटी द्वारा खोजी गई है संभावनाएं,दिए जा चुके है सुझाव
आगरा से 43 किलोमीटर से जुड़ी दूरी पर फतेहपुर सीकरी ब्लॉक के अंतर्गत राजस्थान बार्डर की सीमा से जुड़े है लगभग 50 गांव ।आज इनकी मौजूदा आबादी है करीब पांच लाख की। किसान नेता चौधरी दिलीप के अनुसार आईआईटी विशेषज्ञों से जुड़ी फिजिबिलिटी सर्वे रिपोर्ट को सिंचाई विभाग से जुड़े जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शासन की टेक्निकल कमेटी को भेजा जा चुका है। आज लगभग 15 महीने बीत चुके हैं। लेकिन आजतक किसानों को किसी भी प्रकार की प्रगति रिपोर्ट से नही कराया गया है कभी अवगत।

किसानों से जुड़े आंदोलन को देखते हुए सिंचाई विभाग से जुड़े अधिकारियों द्वारा फतेहपुर सीकरी के अंतर्गत नई नहर निर्माण से जुड़ी संभावना खोजने सम्बन्धित आईआईटी रुड़की से करवाया जा चुका है सर्वे । इसके अंतर्गत करीब 23.65 लाख रुपये से जुड़ी धनराशि से हुआ है फिजिबिलिटी सर्वे। वरिष्ठ प्रोफेसरों द्वारा सिंचाई से जुड़े समाधान हेतु दिए गये है सात विकल्प ।
इसमें से जुड़ा एक सुझाव चंबल नदी से पानी मोटर पंपों द्वारा लिफ्ट कराने का है। राजस्थान सीमा से जुड़े गांव डाबर सिरौली पर स्थित उटंगन नदी पर बांध (डैम) बनाकर उसमें पानी स्टोर करके किसानों से जुड़ी जरूरत के अनुसार पानी पुनः लिफ्ट कराकर प्रस्तावित नई नहर के जरिये 50 गांवों तक पहुंचाने से जुड़ी है ये योजना।
मेरा नाम Radha Sharma है और मै आगरा में निवास करती हूँ |मैंने पिछले लम्बे समय से इन्टरनेट के माध्यम से कई बड़े ब्लॉगर की वीडियो देखकर ब्लॉगिंग के अंतर्गत अपना भविष्य बनाने हेतु मेरे जीवन के इस पहले ब्लॉग Agrafast.in को शुरू किया है |