Agrafast: एटीएम से चिप लगाकर रुपये पार करने वाले गैंग का पुलिस ने किया खुलासा

Agrafast: फतेहाबाद के अंतर्गत एटीएम मशीनों में चिप लगाकर रकम निकालने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ कर पुलिस द्वारा 2 शातिर गिरफ्तार किये गये है। इस गैंग के द्वारा पिछले एक हफ्ते में 5 एटीएम से डेढ़ लाख रुपये निकाले जा चुके थे।

कमिश्नरेट के अंतर्गत एटीएम मशीनों में चिप लगाकर रकम निकालने से जुड़ा गिरोह सक्रिय था। एक सप्ताह के दौरान ये गैंग शहर और देहात के 5 एटीएम से डेढ़ लाख रुपये पार कर  चुका था।

आरोपितों से पूछताछ चल रही है। प्रारंभिक पूछताछ के दौरान 5 एटीएम से रुपये निकालने से जुड़ी जानकारी मिली है। आशंका है कि शातिरों द्वारा कई एटीएम को अब तक निशाना बनाया गया है।

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डेढ़ लाख रुपये उड़ा दिए थे

केनरा बैंक से जुड़े क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार रमन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 16 फरवरी को केनरा बैंक डौकी, फतेहाबाद, मडाइना, नाई की मंडी और संजय प्लेस से जुड़ी शाखाओं के अंतर्गत लगे एटीएम से डेढ़ लाख रुपये निकाले गए थे। उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत की गई थी, उनका कहना था कि खाते से बैलेंस कटने से जुड़ा मैसेज मोबाइल पर आया, लेकिन मशीन से कोई रुपये नहीं निकले थे।

सीसीटीवी चेक करने के दौरान दिखाई दिए थे 2 संदिग्ध

इन एटीएम से जुड़े सीसीटीवी कैमरों को चेक करने के दौरान 2 संदिग्ध दिखाई दिए थे। जिसके बाद एटीएम को चेक किया गया और मशीन में रुपये निकलने वाली जगह पर चिप लगी हुई मिली। इस मामले से जुड़ा मुकदमा दर्ज कराया गया था। सभी घटनाएं केनरा बैंक से जुड़े एटीएम में होने की वजह से बैंक कर्मी सतर्क थे।

पुलिस को दी जानकारी

शनिवार के दिन शाखा प्रबंधक फतेहाबाद दीपांशु गुप्ता शाखा में आकर अपने कार्य को करके वहां से चले गए। तभी बैंक कर्मी मोनू द्वारा उन्हें काल करके बताया गया कि एटीएम के अंतर्गत चिप लगी होने की आशंका है। शाखा प्रबंधक द्वारा फतेहाबाद थाने पहुंचकर इंस्पेक्टर डीपी तिवारी को इस विषय में जानकारी दी गई। इंस्पेक्टर द्वारा एटीएम के आसपास सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी तैनात किये गये। शनिवार शाम के दौरान एटीएम से चिप निकालने आए 2 युवकों को पुलिस द्वारा दबोच लिया गया ।

चिप की वजह से फंस जाती ट्रे

आरोपितों द्वारा पूछताछ में दी गई जानकारी के अनुसार ग्राहक द्वारा रुपये निकालने पर एटीएम मशीन के अंतर्गत लगी ट्रे निकलने के बाद चिप की वजह से फंस जाती। रुपये वापस ट्रे में नहीं जाते थे। ग्राहक को महसूस होता था कि रुपये तकनीकी कमी की वजह से फंस गए होंगे। ग्राहक के जाते ही वो चिप निकालकर उसमें फंसी हुई रकम को निकाल लेते थे ।